ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ
अपने शहर में होते तो घर चले जाते
बहुत से लोग इसको ग़ालिब का शेर कह्ते हैं लेकिन ऐसा नहीं है
दरअसल ये लखनऊ के एक शायर का है...........................
ब्लॉग पर इसी से इब्तेदा करते हैं