Monday, August 31, 2009

we or we not

हम जहां सही होते हैं

जहां हम सही होते हैं उस जगह
वसंत में
कभी नहीं उगेंगे फूल
जहां हम सही होते हैं
वह जगह अहाते की तरह कड़ी और रौंदी हुई होती है
लेकिन संशय और प्रेम
दुनिया को खोदा करते हैं
छ्छूंदर य हल की तरह
ऐर कभी जहां था एक मकान का खंडहर
उस जगह पर
सुनाया देगी एक फुसफुसाहट।


येहूदा अमीखाई